सारिका की पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि एक युवती बस की तरफ से हरि की और आ रही थी। अब पढ़िए सारिका भाग -2 की कथा। वो लड़की हरि के पास आकर बोली, क्या आपके पास एक और सिगरेट है? उत्तर में हरि ने कहा, जी एक और है। लड़की के बिना कुछ और कहने से पहले ही हरि ने अपनी जेब से दूसरी सिगरेट निकाली और उस युवती को दे दी। सिगरेट लेते हुए लड़की ने पूछा, क्या आपके पास माचिस है? हरि ने जेब से सिगरेट लाइटर निकालकर उसकी सिगरेट ज्वलित कर दी। अगले ही पल युवती भी इत्मीनान से सिगरेट के कश खींचने लगी। खामोशी तोड़ते हुए लड़की ने पूछा, आप तक जा रहे हैं? हरि बोला, मैं तो मैकलोडगंज (धर्मशाला ) जा रहा हूं। युवती ने एक कश लगाकर फिर पूछा, काम से जा रहे हैं क्या? हरि बोला, जी नहीं..कंपनी में काम करते करते जब जिंदगी से ऊब जाता हूं तो कहीं घूम आता हूं। इतने में ही बस का हॉर्न सुनाई दिया। सब यात्री वापिस बस में चढ़ने लगे। हरि बस की आगे की सीट पर बैठ गया और युवती पीछे जाकर एक महिला के पास बैठ गई। बस देहरादून से आगे के सफर पर चल पड़ी।
रात के लगभग 10 बजे बस एक रेस्टोरेंट ( भोजनालय) पर रुकी ताकि सब यात्री रात का भोजन खा सके। हरि को तो सफर में नींद आती ही नहीं थी। ज्यादा देर तक वो एक जगह बैठे बैठे तंग हो जाता था। भूख तो थी नहीं, तो उसने सोचा कि रेस्टोरेंट से सिगरेट खरीद ली जाए और ठंडी रात में एक चाय का लुत्फ लिया जाए। बस से उतरते हुए उसकी नजर एक बार उस युवती पर पड़ी। वो आराम से सो रही थी। बाहर जाते ही हरि ने 2 सिगरेट खरीदी और रेस्टोरेंट के एक कौने में बैठ कर वेटर को एक चाय लाने को बोला। साथ ही उसने वेटर से पूछा कि क्या यहां सिगरेट पी सकता हूं? वेटर बोला, अभी आपके आस पास कोई नहीं है तो पी लीजिए..रात में भीड़ तो है नहीं..लेकिन हम दिन में रेस्टोरेंट के अंदर किसी को सिगरेट पीने की अनुमति नहीं देते..हां अगर किसी में सिगरेट के धुएं से आपत्ति जताई तो कृप्या सिगरेट बुझा देना या बाहर जा कर पी लेना। हरि ने जवाब में , जी आप फिक्र मत करिए , कहकर सिगरेट जला ली। कश लगते लगाते हरि अपने फोन पर कुछ देख रहा था कि अचानक से साथ रखी कुर्सी पर वोही युवती आकर बैठ गई। इससे पहले कि दोनों में से कोई कुछ कहता, वेटर एक चाय ले आया। तभी युवती बोली, अच्छा जी अकेले अकेले चाय और सिगरेट का मजा लिया जा रहा है। हरि मुस्कुराते हुए वेटर को बोला, भाई एक चाय और लिए और बढ़िया सी बनकर लाना..कहीं खराब चाय का उलाहना भी मुझ पर ही न आन पड़े। वेटर मुस्कुराते हुए चाय लेने चला गया।
अच्छी बात नहीं ये आपकी, वो युवती बोली। हरि बोला, आप सो रही थी..इसीलिए आपको जगाना मुनासिब नहीं समझा मैंने ..और फिर जगा भी देता तो क्या पता आपके साथ वाली महिला मित्र खफा हो जाती। युवती बोली, कितना सोचते हो यार तुम..वो मेरी मित्र नहीं है...सिर्फ एक यात्री है..खैर अब रंगे हाथ चाय और सिगरेट पीते फसे हो तो मुझे भी चाय तुमको ही पिलानी पड़ेगी..और सिगरेट तो अभी तक आपको जल कर मुझे दे देनी चाहिए थी। हरि ने अपनी जेब से सिगरेट निकल कर उसको जल कर युवती को दे दिया। तभी युवती के लिए चाय भी आ गई। वेटर ने पूछा , कुछ और लेंगे आप लोग? हरि हाथ से युवती की तरफ इशारा करते हुए बोला, मैडम से पूछिए..मुझे तो भूख नहीं है। तभी युवती बोली, मैडम को भी भूख नहीं है..आप अभी जाइए..अगर कुछ मंगवाना होगा तो आपको बुला लेंगे। वेटर के जाते ही युवती बोली, मैं क्या आपको मैडम दिखती हूं?...एकदम साधारण सी तो लड़की हूं। हरि मुस्कुराते हुए बोला, आपका नाम नहीं पता तो इसलिए मैडम बोल दिया आपको। ओहो, तो नाम पूछ लेते..नाचीज़ का नाम सारिका है, युवती ने शरारती ढंग से कहा। हरि बोला, मेरा नाम हरि है।
सिगरेट पीते पीते चाय भी खत्म हो गई। सारिका बोली, हरि...एक एक सिगरेट और चाय और हो जाए..फिर तो शायद सुबह ही कुछ खाने पीने के लिए बस कहीं पर रुके। हरि उठा और सारिका को बोला, आप बैठिए..मैं सिगरेट लाता हूं और चाय के लिए भी बोल आता हूं। हरि ने रिसेप्शन पर 2 चाय के लिए और बोल दिया और 2 सिगरेट भी ले आया। एक सिगरेट सारिका की तरफ की तो वो बोली, अरे आप 2 ही सिगरेट रखते हो क्या?.. पैकेट क्यों नहीं रखते? हरि ने 2 सिगरेट का कारण बता दिया और बोला, शायद आज की रात मुझे पैकेट ही खरीद लेना चाहिए..मेरे साथ सिगरेट पीने वाली डायन चिपक गई है। तभी सारिका बोली, बच्चू..डायन कहा है तो मुझसे बचकर रहना..अगर असल में चिपक गई तो तुम्हारी जिंदगी धुआं हो जाएगी। इतने में बस का हॉर्न फिर से सुनाई दिया। दोनों ने जल्दी से चाय खत्म की और दौड़ते हुए बस में जाकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए और बस तेज़ी से अपनी मंजिल की और बढ़ने लगी....
Note - कहानी जारी रहेगी...
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