सुबह लगभग 4 बजे बस फिर से एक भोजनालय पर रुकी। आप पढ़ रहे हैं सारिका भाग -3 (Sarika part -3) ki कहानी (Kahani)।हरि ने बाहर जाने से पहले पीछे सारिका की सीट की तरफ देखा तो सारिका अपने बालों में रबर बैंड लगाते हुए तेज आवाज में बोली, एक मिनिट रुको हरि..मैं भी चलती हूं। हरि अपनी सीट पर ही खड़ा रहा। अपने बाल बांधने से बाद उसने अपना पर्स कंधे पर टांगा और हरि के साथ बस के बाहर चली गई। भोजनालय में गरमा गर्म समोसे बन रहे थे। दोनों जाकर एक कौने वाली सीट पर बैठ गए। एक वेटर सारिका के पास आकर बोला, मैडम आप लोग समोसे खाओगे?..अभी बन रहे हैं। सारिका शरारती से अंदाज से बोली, साहेब से पूछो...बिल तो उसी को देना है। वेटर ने हरि से पूछा, साहेब..ले आऊं क्या दो समोसे? हरि बोला, ऐसा करो पहले तो 2 तेज गर्म अदरक वाली चाय बनाओ और साथ में 2 समोसे ले आना..और सुनो..यहां पर सिगरेट पी सकते हैं क्या? वेटर बोला, साहेब..दूसरे लोगों को परेशानी होगी। हरि बोला, दूसरा है कौन पास में?...मैडम तो मेरे साथ है...बाकी लोग आगे के हॉल में बैठे हैं..यहां तो हम दोनों ही हैं बस। वेटर हिचकिचाते हुए कुछ कहना चाह रहा था तभी हरि फिर से बोला, चलो ठीक है, अगर कोई बोला की सिगरेट से परेशानी हो रही है..तो सिगरेट बुझा दूंगा। वेटर यह सब सुनकर समोसे और चाय लेने चला गया।
हरि ने दो सिगरेट जलाई और एक सिगरेट सारिका की तरफ कर दी। सिगरेट का कश खींचते हुए सारिका ने पूछा, हरि तुम काम क्या करते हो? हरि बोला, अगर मुझे अमीर समझ रही हो तो भूल जाओ..एक मेडिकल कंपनी में पैकिंग डिपार्टमेंट में सुपरवाइजर हूं.. इससे ज्यादा न मेरी पढ़ाई है और न कमाई। वैसे आप क्या करती हैं सारिका जी?, हरि ने पूछा। सारिका बोली, मैं सॉफ्टवेयर डेवलपर हूं। हरि बोला, मैने सिर्फ ये नाम कहीं पढ़ा था.. इससे ज्यादा कुछ नहीं जानता इसके बारे में। तभी वेटर चाय और समोसे के साथ आकर बोला, ये लीजिए आप दोनों के चाय और समोसे.. साहेब और कुछ लेंगे? हरि बोला, मैडम से पूछो..मेरे लिए तो चाय, समोसा और सिगरेट ही काफी है। सारिका वेटर से बोली, वो जो चॉकलेट केक हैं शोकेस में, कब बनाए थे? वेटर बोला, मैडम एक हफ्ते पहले और ये तो सर्दी का मौसम है तो फिक्र मत करिए..फ्रिज में लगे हुए कोई चीज इतनी जल्दी खराब नहीं होती। सारिका फिर से शरारती अंदाज में वेटर से बोली, फिर सोच लो.. अगर केक में कुछ भी गड़बड़ निकली तो रेस्टोरेंट का लाइसेंस खतरे में आ जाएगा तुम्हारा। वेटर गंभीर स्वर में बोला, अरे नहीं मैडम..ताज़ा केक हैं अभी तो। सारिका बोली, तो ले आओ 2 piece..check करके देखती हूं।
वेटर जल्दी से केक ले आया। जैसे ही वेटर जाने लगा, सारिका बोली, रुको..पहले मैं चेक कर लूं। सारिका ने थोड़ा सा केक खाया और वेटर से बोली, अब जाओ..केक अच्छा है। हरि चुप चाप समोसा खाने लगा। कुछ लम्हों बाद सारिका बोली, अरे यार तुम तो चुप ही हो गए..क्या बात है? हरि बोला, वेटर को क्यों डरा रही थी आप?..क्या सच में रेस्टोरेंट बंद करवा सकती हो? सारिका मुस्कुराते हुए बोली, अरे यार तुम तो वेटर से भी ज्यादा गंभीर हो गए...चलो छोड़ो मैं क्या कर सकती हूं और क्या नहीं..वैसे केक खाकर देखो..अच्छा बना है। हरि केक का छोटा सा टुकड़ा खाते हुए बोला, अच्छा बना है। अब हरि के दिमाग में सारिका की छवि कुछ अच्छी नहीं थी। हरि सोच रहा था कि सारिका एक नंबर की चालू लड़की है और हरि को तो चालू लड़कियां कभी पसंद ही नहीं थी। हरि ने केक खाया और सारिका से यह कहते हुए कुर्सी से उठ गया कि मैं बिल का भुगतान करके आता हूं।
रिसेप्शन पर खाने के पैसे देकर वो सारिका के पास नहीं गया बल्कि बाहर एक कौने में खड़ा होकर एक सिगरेट पीने लगा। इतने में सारिका भी वहां आ गई। सारिका बोली, हरि मन में जो भी है बोल दो..हम अपने मन की आवाज न तो सुनते हैं और न ही किसी को कहते हैं। हरि बोला, नहीं कुछ नहीं सारिका...बस अंदर थोड़ी घुटन सी महसूस हो रही थी..इसलिए बाहर आ गया। सारिका बोली, हरि..घुटन तुमको रेस्टोरेंट में नहीं..अपने अंदर महसूस हो रही थी..शायद तुमको मेरा वेटर से बात करने का लहज़ा पसंद नहीं आया..लेकिन वो सिर्फ एक साधारण सा लम्हा था..मैं कौनसा ये रेस्टोरेंट रियल में बंद करवा देती। हरि तब तक आधी सिगरेट पी चुका था। तभी सारिका ने हरि की उंगलियों में से आधी सिगरेट लेते हुए कहा, जाओ जाकर एक पैकेट सिगरेट ले आओ..अब अकेले नहीं छोडूंगी तुमको..डायन साथ में है तुम्हारे। हरि मुस्कुराते हुए बोला, डायन के तो सींग होते हैं..आपके सींग कहां हैं। सारिका शरारती से अंदाज में बोली, जल्दी से सिगरेट ले आओ..बस चलने वाली है..वरना सींग भी दिखा देती तुमको। तभी बस का हॉर्न बजा। हरि जल्दी से सिगरेट का पैकेट ले आया और दोनों बस में चढ़ कर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए।
Note - कहानी जारी रहेगी
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