नमस्कार दोस्तों, आज मैं एक ऐसी हिंदी कहानी (Hindi kahani) लिखने जा रहा हूं जिसके लेखक का नाम तो मुझे याद नहीं क्योंकि मैंने ये कहानी बहुत सालों पहले पढ़ी थी लेकिन कहानी का शीर्षक था, तीन कुल्फियाँ (Teen Kulfiyan) । यह कहानी आप लोगों को थोड़ी काल्पनिक लग सकती है लेकिन इसमें हमारे समाज की सच्चाई छिपी है। वो आप लोग कहानी पढ़कर अपने आप जान जायेंगे।
कहानी " तीन कुल्फियाँ " वास्तव में हमारे समाज के तीन वर्गों अमीर,गरीब और मध्य वर्ग की अलग अलग सोच को प्रकट करती है। ये कहानी है तीन व्यक्तियों की जो की अलग अलग जगह पर कुल्फियां बेचते हैं। उन तीनों को विभिन्न तरह के लोगों का सामना करना पड़ता है। कहानी छोटी सी ही है। चलिए पढ़ते हैं।
पहली कुल्फी: गर्मियों की तेज़ धूप, दोपहर का समय है। एक ईंट के भट्ठे के बाहर छोटा बच्चा अपनी मिट्टी की गाड़ी के साथ खेल रहा है। उसकी मां मिट्टी से ईंटे बना रही है। तभी बच्चे को सड़क के मोड़ के पास से कुल्फी के ठेले वाले की घंटी सुनाई देती है। बच्चे को कुल्फी खाने की इच्छा होती है। वह दौड़कर अपनी मां के पास जाता है और कुल्फी के लिए पैसे मांगता है। उसकी मां गरीब है। उसकी मां के पास पैसे नहीं थे। लेकिन बच्चे की जिद्द को कुछ पता नहीं होता कि हालात कैसे हैं।
मां ने जब देखा की कुल्फी वाला अब मोड़ से आगे जा चुका है तो मां ने बच्चे को कहा कि कमरे में पड़े पुराने लोहे के समान से कुल्फी खरीद ले। बच्चा दौड़कर कमरे में जाता है और लोहे का समान लाता है। जैसे ही बच्चा सड़क पर जाता है, वहां कुल्फी वाले को न पाकर लोहे के समान को धरती पर जोर से फेंकता है और वहीं लेटकर जोर जोर से रोने लगता है। यह किस्सा था अपनी पहली कुल्फी का।
दूसरी कुल्फी: कुल्फी वाला एक गांव के अंदर जाता है। गांव की सरहद पर ही एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठे कुछ बूढ़ों से उसका सामना हो जाता है। एक बूढ़ा उसको बुलाकर कहता है कि कहां घुसे जा रहे हो गांव के अंदर? कुल्फी वाला सहमी सी आवाज में बोलता है कि कुल्फी बेचने जा रहा साहब। बूढ़ा कुल्फी वाले को धमकाते हुए कहता है, " खबरदार जो गांव के अंदर दुबारा कदम रक्खा, टांगे तोड़ दूंगा तेरी, घटिया कुल्फियां खिला कर मेरे पौत्र का स्वास्थ्य खराब कर दिया तुमने। "
कुल्फी वाला वहां से चुप चाप चला जाता है। तभी पास बैठे बूढ़ों में से एक ने उस बूढ़े से पूछा जो कुल्फी वाले को धमका रहा था, " अरे , तुमने बताया नहीं कि तुम्हारा पौत्र बीमार है ।"
तभी वो बूढ़ा बोला, " अरे, बीमार विमार कुछ नहीं, ये कुल्फी वाला हर रोज़ गांव में आ जाता है और मेरा पौत्र हर रोज़ मुझसे पैसे मांगता है कुल्फी के लिए, आज इसका पक्का इलाज ही कर दिया, आज के बाद ये गांव में नजर नहीं आएगा। ये थी अपनी दूसरी कुल्फी।
तीसरी कुल्फी: इस बार एक अमीर मां बाप और उनके बच्चे के साथ गाड़ी में जा रहे है। शहर में थोड़ा यातायात ज्यादा होने की वजह से उनको गाड़ी एक जगह गाड़ी रोकनी पड़ी है। बच्चा कार की खिड़की से बाहर देखता है तो फुटपाथ पर खड़े एक कुल्फी वाले पर उसकी नज़र टिकती है। बच्चा अपनी मां को बोलता है कि मुझे कुल्फी चाहिए। तभी उसका बाप बोलता है, " बेटा, बस 5 मिनिट इंतजार कर, आगे कुल्फी की एक अच्छी वाली दुकान है, वहां से तुझको कुल्फी दिलवाऊंगा, ये कुल्फी खाकर तू बीमार हो जाएगा। ये किस्सा था अपनी तीसरी कुल्फी का।
तो दोस्तों देखा आपने? विभिन्न लोग और उनकी अलग अलग सोच और परिस्थितियां। आपको ये हिंदी कहानी ( Hindi kahani) कैसी लगी, comment box में जरूर बताएं
, धन्यवाद।
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