वो कौन थी | हिंदी कहानी ( Hindi kahani )

 

वो कौन थी, हिंदी कहानी, कहानी इन हिंदी, Hindi kahani, kahani, Hindi 365, Kahani in hindi

ये घटना एक छात्र के साथ घटी जो कि दसवीं कक्षा में पढ़ता था। उसका नाम था, राम। राम का एक मित्र भी उसके साथ पढ़ता था तथा दोनो घनिष्ट मित्र थे। दोनों अपने गांव से दूर एक शहर के स्कूल में पढ़ते थे तथा उसी शहर में एक किराए के कमरे में रहते थे। ये हिंदी कहानी ( Hindi kahani ), वो कौन थी , वहीं से शुरू होती है।

राम और उसका दोस्त अक्सर स्कूल से गायब रहते थे और वहां एक झील हुआ करती थी, उस झील के पास अपना समय व्यतीत करते थे। एक दिन दोनों मित्र स्कूल में न जाकर , उस झील के पास समय व्यतीत कर रहे थे। वहां राम की नज़र एक युवती पर पड़ी और राम ने आदत से मजबूर होकर सीटी मार दी। युवती ने कोई विरोध नहीं जताया और वहां से चली गई।

अगले हफ्ते राम के दोस्त को उसके गांव जाना पड़ा। राम शहर में अकेला रह गया। उसका मन कही भी नहीं लग रहा था। सुबह स्कूल का मन नहीं हुआ तो झील के पास जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में उसे वही युवती जिसको देखकर उसने सीटी मारी थी, अपनी और आती नजर आई। राम यह देख कर घबरा गया, उसने सोचा की शायद उस दिन की सीटी का बदला लेने आ रही है। लेकिन युवती ने पास आकर बोला, क्या मुझसे दोस्ती करना चाहते हो? राम लड़खड़ाती हुई सी आवाज में बोला, हां। राम के लिए ये पहली बार था की कोई युवती उससे दोस्ती करना चाहती थी।

वो कौन थी, हिंदी कहानी, कहानी इन हिंदी, Hindi kahani, kahani, Hindi 365, Kahani in hindi, Vo kaun thi

उस दिन के बाद दोनों हर रोज झील पर मिलने लगे। राम स्कूल न जाकर, सुबह से ही झील पर आ जाता, उस लड़की से मिलने। वो लड़की थी भी बला की खूबसूरत, एकदम परी जैसी। एक हफ्ता कैसे व्यतीत हो गया राम को पता भी नही चला। फिर उसके दोस्त को भी आना था वापिस। उसका दोस्त शहर वापिस आया तो राम ने उसको बताया कि एक लड़की से दोस्ती हुई है। राम का दोस्त भी उस लड़की से मिलने के लिए बेताब था।


अगले दिन सुबह दोनो मित्र झील के पास चले गए। देर तक वहां बैठे रहने पर भी वो लड़की नहीं आई। राम बोला, हर रोज तो सुबह 10 बजे ही आ जाती थी, पता नहीं आज क्यों नहीं आई। दोनों दोस्त वापिस कमरे पर चले गए अगले दिन फिर से झील के किनारे गए लेकिन वहां वो लड़की नहीं आई। कमरे पर वापिस आकर राम का दोस्त बोला की शायद वो लड़की सिर्फ तुमसे मिलना चाहती है या फिर वो शायद किसी जरूरी काम में दस गई है या हो सकता है की बीमार हो गई हो, तुम्हे उसके घर जाकर देखना चाहिए की कारण क्या है? लेकिन राम बोला की मुझे उसका घर का पता नहीं, वोब्तो मुझे झील पर ही मिलती थी, हर रोज सुबह 10 बजे।

राम का दोस्त बोला की चलो ठीक है, कल तुम अकेले जाना झील पर और देखना की वो लड़की आती है या नहीं। अगले दिन राम सुबह 10 बजे झील पर पहुंचा और सामने उस लड़की को पाया। 3 दिन बाद उस लड़की से मिलकर राम बहुत खुश था। उससे बहुत सारी बाते की और न आने का कारण पूछा लेकिन युवती ने बातों में फुसलाकर , राम के प्रश्न का कोई उत्तर न दिया।

कमरे पर वापिस आकर राम ने बताया कि वो लड़की आज आई थी। राम का दोस्त कुछ रहस्यमय कहानियां पढ़ता था। दोस्त बोला की मुझे इस लड़की पर कुछ शक है, क्या वो लड़की बहुत सुंदर है? राम बोला, हां यार, उसको देख कर लगता है जैसे आसमान से परी आ गई हो। राम का दोस्त बोला की मुझे उस लड़की पर शक है की वो इंसान नहीं, यक्षणी है। जो की इंसानों को मारकर ही छोड़ती है। राम ने दोस्त की बात पर यकीन नहीं किया। दोस्त बोला की अगर मुझ पर यकीन नहीं तो आज उसके पैरों को देख जाकर, वे उल्टे होंगे।
राम झील के पास चला गया। जैसे ही वो लड़की राम के पास आई, वह सब कुछ भूल गया जोकि मित्र ने बताया था। लड़की ने padalboat के सहारे नदी में  घूमने की इच्छा जताई।

वो कौन थी, हिंदी कहानी, कहानी इन हिंदी, Hindi kahani, kahani, Hindi 365, Kahani in hindi

अब दोनों आनंद से padalboat में बैठे थे , तभी राम की नज़र लड़की के पैरों की तरफ जाती है और राम उसके पैर देखकर एकदम से हड़बड़ा जाता है। क्योंकि लड़की के पैर उल्टे थे और राम को उसके दोस्त द्वारा कही बात याद आ जाती है। अब राम पसीने पसीने हो रहा था। राम तेज़ी से boat को किनारे पर लाया और छलांग लगाकर boat से बाहर कूद गया। लड़की पीछे से राम को आवाज दे रही थी लेकिन राम इतनी तेज़ी से वहां से भाग रहा था जैसे जान की बाज़ी लगी हो।


राम कमरे पर पहुंचा और अपने दोस्त को सारी बात बताई। राम का दोस्त उसे एक ओझा के पास ले गया। ओझा बोला, की वो लड़की इंसान नहीं यक्षणी है और अब वो तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगी। ओझा ने ये भी बताया कि यक्षणी दुनिया को सबसे हठी शक्ति होती है। राम ओझा के सामने रोने लगा। ओझा बोला, घबराओ मत, वो तुम्हे मारेगी नहीं अभी, क्योंकि वो तेरे प्यार में है, में एक ताबीज़ देता हूं, लेकिन ये ताबीज़ कोई सिर्फ प्रांभिक उपचार है, उस शक्ति को कोई नहीं रोक सकता तेरे पास आने से, ताबीज़ से वो तुम्हे सिर्फ छू नहीं पाएगी, लेकिन कभी तुम्हे छोड़ेगी नहीं, क्योंकि वो तुम्हे प्यार करती है और न ही तुमको किसी और स्त्री का होने देगी। राम और उसका दोस्त ताबीज़ लेकर कमरे पर चले गए।

ताबीज़ पहनकर भी राम डरा डरा सा रहने लगा। हर आहट से डर जाता। एक दिन राम का दोस्त बाजार गया हुआ था और कमरे को बाहर से किसी ने खटखटाया। राम ने सोचा कि दोस्त आया होगा। जैसे ही दरवाजा खोला, वहां खड़ी उस लड़की को देख कर राम बहुत घबरा गया और दरवाजा एकदम से बंद कर दिया। लड़की बाहर से बोली, मुझे पता है तुम मेरी असलियत जान चुके हो, लेकिन चिंता मत करो, में तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती। मैं सिर्फ तुम्हारा साथ चाहती हूं, क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं।

कमरे के अंदर से राम सिर्फ यही बोल रहा था, चली जाओ, मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी दोस्ती, चली जाओ। थोड़ी देर में फिर से किसी ने दरवाजा खटखटाया। लेकिन राम ने खोला नहीं। बाहर से दोस्त की आवाज आई तो राम ने दरवाजा खोला। राम ने सारी बात दोस्त को बताई। दोस्त बोला की तुमने उसको यहां का पता क्यों दिया था। राम बोला मैने तो उसके कभी कुछ नही बताया कि मैं कहां रहता हूं। राम का दोस्त फिर से राम को ओझा के पास ले गया। ओझा बोला, उस शक्ति को कोई नहीं रोक सकता, जितना जल्दी हो सके ये शहर छोड़कर चले जाओ। हर शक्ति को सीमा स्थान के साथ बंधी होती है। यहां से कहीं दूर चले जाओ। यहां तो वो कभी तुम्हे नहीं छोड़ेगी।

वो कौन थी, हिंदी कहानी, कहानी इन हिंदी, Hindi kahani, kahani, Hindi 365, Kahani in hindi, Vo kaun thi

अब राम एकदम से गांव भी नही जा सकता था। क्योंकि अभी राम की कक्षा की परीक्षा चली हुई थी, जो की अंतिम चरण था कक्षा का। उसके बाद वो लड़की एक बार फिर से आई कमरे के बाहर, जब राम का दोस्त कमरे पर नहीं था। लेकिन राम रो रो कर सिर्फ यही कहता, चली जाओ, चली जाओ।  थोड़े दिन बाद परीक्षा खत्म हुई और परीक्षा के अंतिम दिन शाम को राम ने अपना सामान बांधा और वो शहर हमेशा के लिए छोड़ कर अपने गांव चला गया। उसके बाद राम ने कभी उस लड़की को नहीं देखा।


दोस्तों मेरे अनुसार, कुछ लोगों की किस्मत में पवित्र प्रेम नहीं होता। जितना मैने यक्षणी के बारे में पढ़ा है, यही जानता हूं कि वो जितनी घृणा कर सकती है, उतना ही प्रेम भी कर सकती है और वो भी सच्चा। खैर छोड़ो, आपको ये हिंदी कहानी ( Hindi kahani )कैसी लगी comment box में जरूर बताएं, धन्यवाद।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ