ये भूतिया कहानी (Bhutiya kahani) है हरी नाम के एक युवा लड़के की जो एकदिन घरवालों से परेशान होकर घर से भाग गया। इस घटना का शीर्षक है, भूतिया स्कूल। जिंदगी का कुछ खास अनुभव भी नहीं था। अब वो भाग तो गया सुबह लेकिन पहुंच गया एक बड़े शहर में। ज्यादा कुछ भी नही था उसके पास न स्कूली शिक्षा, न जिंदगी का अनुभव, उम्र से भी अभी जवान हुआ ही था, न पैसे ज्यादा थे। अगले ही पल दिमाग में आया कि क्यों न कोई ऐसी नोकरी कर ली जाए जो रिहायश भी दे और आमदनी भी। किसी ने बताया कि तुम सिक्योरिटी गार्ड के दफ्तर चले जाओ, वहां ज्यादातर नोकरियो में रिहायश मिल जाती है।
अब वो सिक्योरिटी गार्ड के दफ्तरों में जाने लगा लेकिन कहीं नोकरी न मिली। दोपहर बाद का समय था। फिक्र बढ़ती जा रही थी की शाम को कहां रुकना है। तभी चलते फिरते एक सिक्योरिटी गार्ड के दफ्तर पहुंचा। वहां दो युवा महिला सामने ही बैठी थी। हरी ने पूछा कि कोई नोकरी है क्या? महिला बोली की नहीं अभी कोई नोकरी नहीं है, दो या तीन दिन बात हो सकती है। हरी बोला की अभी चाहिए, हो तो बोलो। महिला बोली, घर से भाग कर आए हो क्या? हरी बोला, नहीं, घर से तंग होकर आया हूं। शायद महिला को जिंदगी का अनुभव रहा हो। एक लम्हा रुकने के बाद हरी बोला, चलता हूं। तभी दूसरी वाली महिला ने पहली महिला के कान में कुछ कहा। हरि दफ्तर से बाहर निकल ही चुका था की पहली महिला ने आवाज लगाई, जरा 5 मिनट बैठो, मैं पूछ कर बताती हूं किसीको।
हरि दफ्तर के अंदर आकर बैठ गया। महिला फोन पर किसी से बात करने लगी। फोन रखते ही महिला बोली, एक स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड का काम करना है, करलोगे क्या? हरि बोला , जी बिलकुल करूंगा, लेकिन मुझे किसी कमरे में रात को ठहरने की इजाजत दिलवा देना। महिला बोली, उसकी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, वहां पर सिक्योरिटी गार्ड के लिए अलग से एक कमरा है। हरि अब थोड़ा आराम महसूस कर रहा था। हरि बोला, जी मुझे आज से ही लगा दीजिए नोकरी पर। महिला बोली , मुझे पता है तुम भाग कर आए हो घर से, घर वापिस जाना चाहते हो तो चले जाओ, बाद में छुट्टियों के लिए मत बोलना। हरि बोला, अब तक घर में ही तो था और वहां कोई नहीं है जिसके लिए वापिस जाऊं।
महिला एक कागज़ के टुकड़े पर एक पता लिखते हुए बोली, तो ठीक है , ये पता लिख दिया है, बस पकड़ कर चले जाओ इस पते पर, वहां 2 सिक्योरिटी गार्ड मिलेंगे, उनमें से एक को हम कल सुबह वापिस बुला लेंगे। यह सुनकर हरि बोला, मुझे किसी की नोकरी छीन कर नोकरी नहीं चाहिए, अगर वहां पर पहले से ही सिक्योरिटी गार्ड हैं तो मेरी क्या जरूरत। महिला बोली, ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं तुमको, एक सिक्योरिटी गार्ड ठीक से काम नहीं करता वहां, उसको तो आना ही था वापिस, आज नही तो कल, तुम इसके लिए जिम्मेवार नहीं हो, जाओ और जाकर ठीक से नोकरी करो, अगर पैसे नही हैं तो बता दो, थोड़े पैसे दे दूंगी। हरि बोला, जी थोड़े पैसे हैं अभी, नोकरी देने के लिए शुक्रिया, अब आपके द्वारा लिक्खे पते के लिए चलता हूं, ये क्षेत्र मेरे लिए नया है, अंधेरे में मुझे परेशानी होगी पता ढूंढने में। महिला ने सिक्योरिटी गार्ड की वर्दी हरि को थमाई और हरि दफ्तर से बाहर निकला।
अब शाम के लगभग 5 बज चुके थे। फरवरी का मौसम था। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण शाम को ठंड महसूस हो रही थी। दिन भी ढलने वाला था। हरि ने जल्दी से बस स्टैंड से दिए गए पते के लिए बस पकड़ी और अपने एक अनजान सफर पर चल दिया। लगभग 30 मिनट बाद हरि उस क्षेत्र में पहुंच गया जहां वो स्कूल था। लोगों से पूछते हुए वो स्कूल में पहुंचा। थोड़ी औपचारिकताओं के बाद उसे स्कूल के अंदर आने की अनुमति दे दी गई। एक गार्ड तो वहां पर था ही नही उस वक्त। हरि ने अंदाजा लगा लिया कि शायद इसीलिए उस गार्ड की जगह पर मुझे स्थानांतरित कर रहे हैं। अगली सुबह वो जो दूसरा गार्ड था, उसे फोन करके सिक्योरिटी गार्ड के दफ्तर में बुला लिया गया और हरि को एक हफ्ते के लिए रात की shift दे दी गई।
~ये भूतिया कहानी (Bhutiya kahani)जारी रहेगी~
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