खौफ की रात | हिन्दी कहानी (Hindi kahani)

खौफ की रात | भूतिया कहानी | कहानी | Kahani | Bhutiya kahani | Bhutiya

ज आप एक हिंदी कहानी (Hindi kahani) के बारे में पढ़ेंगे जो कि एक पुलिस हवलदार की है। कहानी का शीर्षक है, खौफ की रात (Khauf ki Raat) वह हवलदार एक धार्मिक व्यक्ति है तथा सत्संग में भी जाता रहता है। पात्र का नाम गुप्त रक्खा गया है ताकि उस व्यक्ति की निजी जिंदगी पर कोई असर न पड़े।

हमारी कहानी चंडीगढ़ शहर के आस पास की है। एक हवलदार की रात को ड्यूटी एक नए चेकपोस्ट पर कर दी जाती है। चेक पोस्ट पर 2 और हवलदार हैं जो की टेंट में विश्राम कर रहे हैं। आधी रात का समय है। सड़क एकदम से सुनसान पड़ी है। तभी हवलदार को सड़क के दूसरी तरफ से एक छोटा बच्चा सड़क पार करते हुए दिखाई देता है। हवलदार सोचता है की ये छोटा बच्चा इतनी रात को भी सोया नहीं, रात को भी इसको चैन नहीं। थोड़ी दूर पर कुछ बागड़ियो(बंजारे) के टेंट लगे थे। हवलदार ने सोचा ये उनका बच्चा है। हवलदार जैसे ही उस बच्चे को वापिस बागड़ियों के टेंट की तरफ भेजने के लिए उठा, बच्चा सड़क पार नहीं करता, वापिस पास की झाड़ियों में चला जाता है।

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हवलदार फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है ये सोच कर की बच्चा वापिस भाग गया अपने टेंट में। थोड़ी देर बाद बच्चा फिर दिखाई देता है। इस बार वो फिर से सड़क पार करने की कोशिश कर रहा होता है। हवलदार उसे देख कर फिर अपनी कुर्सी से उठ जाता है कि उसको इसके टेंट में भेज दिया जाए, वरना रात को पता नही कहां गुम हो जाएगा। बच्चा फिर से हवलदार को अपनी तरफ आता देखकर झाड़ियों की तरफ भाग जाता है।


थोड़ी देर हवलदार टहलता रहता है आस पास। जैसे ही वह अपनी कुर्सी पर आकर बैठता है, बच्चा फिर से सड़क के उस पार दिखाई देता है। इस बार हवलदार सोचता है कि उसे उसके टेंट में ही छोड़ कर आया जाए और उसके मां बाप को बताया जाए उसकी करतूत के बारे में। हवलदार उस बच्चे के पीछे पीछे हो लेता है। बच्चा झाड़ियों में भागता है। हवलदार भी उसके पीछे झाड़ियों में भागता है। तभी हवलदार उसकी एक हरकत को देख कर हैरान रह जाता है। झाड़ियों के पार एक पेड़ था। बच्चा उस पेड़ पर बिना हाथ लगाए सीधा ही चढ़ जाता है। यह देख कर हवलदार समझ गया कि ये को बच्चा नहीं है। ये तो कुछ और ही रात की बला है। हवलदार बच्चे की वो करतूत देख कर अपने गुरु का नाम लेता है और वहां से वापिस अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है।

सारी रात दिमाग में उस बच्चे का खयाल ही चलता रहता है। सुबह होती है तो जो दो हवलदार टेंट में सोए थे, उसने रात का सारा किस्सा उनको बताया। दिन चढ़ने पर पास ठहरे बंजारों से भी पूछ ताछ की गई। उन्होंने बताया कि हमने भी कई बार रात को उस बच्चे को देखा है। इसलिए हम उन झाड़ियों की तरह रात को तो दूर , दिन को भी नही जाते। यह सुनकर दो हवलदारों ने तो वहां से अपनी बदली उसी दिन करवा ली। और उस हवलदार ने क्या किया जिसके साथ ये घटना घटी, कुछ खास पता नही है। ये हिंदी कहानी (Hindi kahani) यहीं समाप्त होती है।

दोस्तों हमारे आसपास बहुत से अनसुलझे रहस्य होते हैं। अगर आप में से किसी के साथ भी ऐसी घटना घटी हो तो comment box में जरूर बताएं। कहानी पढ़ने के लिए आपने जो समय दिया, उसके लिए धन्यवाद।


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