महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव | कहानी (kahani)

महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव, कहानी, kahani, Mahamrityunjay ka prabhav, Kahani365, Hindi kahani

मारी आज की कहानी (Kahani) में एक रहस्य है। आप लोगो ने सुना होगा कि मानो तो सब कुछ है और न मानो तो कुछ भी नहीं, लेकिन मान्यता और अमान्यता के पार भी बहुत कुछ है। मुझे नहीं पता की इस घटना के पात्र का अनुभव वहम था या एक अटल सत्य, लेकिन जो उसने बताया, मैं उसका वर्णन यहां कर रहा हूं। इस कथा का शीर्षक है , महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव

हमारी इस कथा का पात्र, हर्ष , कुछ समय से तंत्र की किताबों में रूचि ले रहा था। बहुत ढूंढने के बाद भी जब कोई गुरु नहीं मिला तो उसने कुछ youtube channel को देखना शुरू कर दिया, जोकि तंत्र के बारे में जानकारी देते थे। लेकिन आप लोगों को तो पता ही है कि youtube पर ज्यादातर गुरु नहीं गुरु-घंटाल लोग सीखाते हैं। श्रावण का महीना चला हुआ था जोकि बारिश के लिए हमेशा से मशहूर है। श्रावण के साथ एक और नाम बहुत विख्यात है और वो है शिव। 

कहते हैं कि श्रावण महीने में शिव के मंत्र अपनी चरम सीमा पर शसक्त होते हैं। श्रावण में शिव की पूजा मोक्षदायी मानी जाती है। अपनी कहानी के पात्र हर्ष ने भी ये सब जानकारी किताबों और youtube channel से इक्कठी की और शिवरात्रि से 21 दिन पहले साधना शुरू कर दी। उन दिनों हर्ष जमीन पर ही सोता था क्योंकि जमीन पर सोना साधना का ही एक नियम बताया गया है। वह कोई धूप या दिया नही जलाता था, सिर्फ रूद्राक्ष की 11 माला फेरता था महामृत्युंजय मंत्र की और बिस्तर पर ही सो जाता था। वह जानता था की साधना सोने वाले बिस्तर पर नही करनी चाहिए लेकिन वो देखना चाहता था की मान्यता और अमानयता के पार भी कुछ है या नहीं या फिर ये सब नियम सिर्फ मन के वहम हैं।

महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव, कहानी, kahani, Mahamrityunjay ka prabhav, Kahani365, Hindi kahani

लगभग एक हफ्ते बाद जब वह मंत्र जप करके अपने बिस्तर पर लेट गया तो अंधेरे में उसके हाथ पर कुछ संवेदना हुई , इस छुअन को वो एकदम से भांप गया कि ये एक बड़ा सा कानखजूरा (centipad) है। लेकिन वो जीवों को कभी मारता नही था। वो हड़बड़ाया नहीं, उसे पता था की अंधेरे में हड़बड़ाने से छोटा सा जीव उसके पैर के नीचे आकर मर सकता है। जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ हड़बड़ाहट का फासला था। वो धीरे से अपना हाथ बंद करके उठा और कमरे से बाहर सीढ़ियों द्वारा छत पर  उस कानखजूरे (centipad) को छोड़ आया। न तो कानखजुरे ने उसे काटा और न ही हर्ष को डर लगा जोकि अजीब बात थी। वापिस बिस्तर पर आकर वो सो गया।

अगली सुबह वो कानखजूरे वाली बात उसने अपनी मां को बताई। उसकी मां बोली की बरसात के मौसम में जमीन पर सोने से तो यही होगा, bed पर सोया कर, बाहर से सांप वगैरह भी आ सकता है। हर्ष ने सोचा कि मां का कहा भी मानकर देख लेते हैं, ये भी पता चल जाएगा की ये इतिफाक था या फिर मंत्र का कोई असर। अगली रात उसने जमीन पर ही मंत्र उच्चारण किया और बाद में अपनी मां के पास bed पर जाकर दीवार की तरफ लेट गया। उसने देखा एक छिपकली पंखे के पास छत पर है और वो धीरे धीरे दीवार पर से उसके पास आती है। हर्ष ने उसकी तरफ हाथ भी हिलाया ताकि वो डर कर भाग जाए लेकिन वो नहीं भागी। उस छिपकली पर ज्यादा गौर न करते हुए हर्ष सोने की कोशिश कर रहा था कि अचानक से देखा की छिपकली तो बिलकुल पास आ चुकी है। हर्ष ने सोचा की देखू तो ये क्या करेगी। तभी छिपकली ने हर्ष पर छलांग लगा दी। हर्ष फिर से हड़बड़ाया नहीं, वो धीरे से उठा और छिपकली को नीचे झटका दिया अपने कमीज़ से। अब हर्ष को ये यकीन हो चुका था की कुछ गड़बड़ चल रही है, जो की सामान्य नहीं है।

महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव, कहानी, kahani, Mahamrityunjay ka prabhav, Kahani365, Hindi kahani

अगली सुबह फिर से अपनी मां को छिपकली वाली सारी बात बताई। मां बोली, तूने तो पता नहीं क्या क्या वहम पाल रक्खे हैं, छिपकली तो दूर से ही इंसान को देखकर भाग जाती है, तेरे पास क्या करने आयेगी? लेकिन हर्ष को  तो ये यकीन था की कुछ गड़बड़ हो रही है जिंदगी में। अगली रात फिर से छिपकली छत से नीचे उसके पास आ रही थी। हर्ष उठा और छोटा सा एक डंडा ले कर छिपकली को कमरे से बाहर भगा दिया। अगले दिन उसने अपने एक दोस्त को सब बताने का निर्णय लिया, जोकि एक मंदिर में पुजारी है और झाड़ फुक भी करता है। हर्ष ने सारी बात उसको बताई। दोस्त बोला, क्या तू हवन कर रहा है मंत्र के साथ में। हर्ष बोला, नहीं हवन तो दूर, में तो दिया भी नही जलाता, मुझे मान्यता और अमान्यता के पार कुछ पता लगाना है। उसका दोस्त बोला, तो रोक दे सब कुछ, वरना शिवरात्रि से पहले तेरी अर्थी उठेगी, क्योंकि महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु का आवाहन है, ज्यादातर ये उन लोगो के लिए किया जाता है जो मृत्यु और जीवन के बीच तड़प रहे होते हैं और उनके लिए महामृत्युंजय मंत्र करने से ज्यादातर लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं। दोस्त बोला, तू करेगा तो वही जो तुझे करना होता है लेकिन मेरे ज्ञान के अनुसार तुम ये साधना ठीक ढंग से नहीं कर रहे हो। उसके बाद हर्ष अपने घर आ गया।

अगले दिन से हर्ष को वो साधना रोकनी पड़ी। दोस्तों आपको क्या लगता है? वो साधना उसको मृत्यु को प्राप्त करवा देती? अगर आप इस कहानी (Kahani) के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो comment box में अपने सुझाव दीजिए, कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ